Kalpanalok भाग 12- विचारों की दुनिया




 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 12


शीर्षक: विचारों की दुनिया ✨


पिछले भाग में:

कल्पनाग्रंथ के निर्देश पर आरव और चिंटू ने चेतना द्वार में प्रवेश किया। लेकिन यह कोई सामान्य द्वार नहीं था — यह था उनके भीतर की दुनिया का प्रवेशद्वार।



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जैसे ही उन्होंने चेतना द्वार पार किया, वे एक अजीब सी दुनिया में आ पहुँचे — सब कुछ बदल चुका था। चारों ओर रंग-बिरंगे बादलों जैसे आकार तैर रहे थे, कुछ आकार आरव की सोच जैसे लग रहे थे — वह बड़ा बनना चाहता है, सबकी मदद करना चाहता है।


लेकिन तभी एक गहरा काला बादल उनकी ओर बढ़ा — चिंटू डर गया, “ये क्या है?”


आरव ने कहा, “शायद ये हमारा डर है... हमारे मन के अंदर का डर।”


अचानक वह काला बादल एक भयावह राक्षस में बदल गया — वह चिंटू की ओर झपटा!


आरव ने ग्रंथ की एक पंक्ति याद की: "डर का सामना करो, तो वह शक्ति बन जाता है।"


आरव ने अपनी आँखें बंद कीं और सोचा — “हम सुरक्षित हैं, हम साहसी हैं।”

और जैसे ही उसने ये सोचा, उसके चारों ओर एक तेज़ नीली ढाल बन गई जिसने उस राक्षस को पीछे धकेल दिया।


चिंटू मुस्कुराया, “तो यहाँ जो सोचोगे, वही हकीकत बनती है?”


“हाँ,” आरव बोला, “लेकिन गलत सोच भी बड़ा खतरा बन सकती है।”



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अंत में:

दोनों आगे बढ़ते हैं और एक विशाल पेड़ देखते हैं — उसके नीचे लिखा होता है:

“अगला द्वार केवल उन्हें मिलेगा जो अपने मन को जीत ले।”


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