Kalpanalok – भाग 15: परिवर्तन की नदी



🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 15

शीर्षक: परिवर्तन की नदी


पिछले भाग में:

आरव और चिंटू ने छाया घाटी में अपनी भीतरी परछाइयों का सामना किया — डर, अकेलापन और भ्रम से मुक्ति पाकर उन्होंने अपने भीतर के सत्य को स्वीकार किया। अब वे पहुँच चुके हैं अगली चुनौती की ओर — परिवर्तन की नदी।


भाग 15: परिवर्तन की नदी


जैसे ही दोनों चमकते द्वार से निकलते हैं, सामने बहती दिखती है एक नीली-जैसी मगर चंद्रप्रकाश से चमकती हुई नदी। उसके किनारे एक पत्थर पर लिखा होता है:


🌀 “यह नदी हर उस विचार को बदल देगी जो सत्य नहीं है।”


चिंटू पूछता है, “क्या हमें इसमें तैरना होगा?”

आरव जवाब देता है, “शायद ये नदी हमें खुद में झांकने को कह रही है।”


वे जैसे ही पानी में प्रवेश करते हैं, नदी में उठती लहरें उन्हें दो अलग-अलग राहों में बहा ले जाती हैं।



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🌊 आरव की यात्रा – परिवर्तन का आत्मसाक्षात्कार

आरव नदी के बीचोंबीच बहते हुए अपने अतीत के निर्णयों, ग़लतियों और पछतावों से गुजरता है। वह देखता है, कैसे उसके कुछ निर्णय दूसरों को भी प्रभावित करते रहे।


एक आवाज़ गूंजती है:

“क्या तुम अपने हर फैसले को दोबारा लेना चाहोगे?”


आरव सोचता है, फिर कहता है:

“नहीं, मैं उन फैसलों को बदलना नहीं चाहता, पर अब मैं बेहतर समझ से आगे बढ़ूंगा।”



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🌊 चिंटू की यात्रा – पहचान की तलाश

चिंटू को नदी एक शांत द्वीप पर ले जाती है। वहाँ उसे कई रूपों में चिंटू नज़र आता है — कभी डरपोक, कभी गुस्सैल, कभी अकेला।


वह चिल्लाता है, “मैं कौन हूं?”


एक झीनी सी ध्वनि आती है:

“तू वही है, जिसे तू मानता है… परिवर्तन तुझमें है, बाहर नहीं।”



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⛩️ पुनर्मिलन और संदेश

नदी के छोर पर दोनों एक ही बिंदु पर वापस मिलते हैं। उनके वस्त्र अब चमक रहे हैं, चेहरा शांत है, और आत्मा दृढ़।


किनारे पर एक वृद्ध स्त्री मिलती है — जिनकी आंखों में आकाश की गहराई है।

वह कहती है:


“अब तुम कल्पनालोक की अंतिम परत में प्रवेश के योग्य हो। लेकिन अगली राह… समय की सुरंग है।”



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क्या आरव और चिंटू समय की यात्रा को समझ पाएंगे?

क्या कल्पनालोक का मूल रहस्य अब खुलेगा?


📖 जाने अगले भाग में — "समय की सुरंग"


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