Kalpanalok– भाग 16 | समय की सुरंग

 


भाग 16: समय की सुरंग


पिछले भाग में:

परिवर्तन की नदी ने आरव और चिंटू को उनकी आंतरिक सच्चाई से परिचित कराया। आत्मबोध और पहचान की इस गहराई के बाद, अब वे पहुँच चुके हैं कल्पनालोक की अंतिम परत के द्वार पर — जहाँ उनका सामना होगा समय से।



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प्रवेश द्वार

वृद्ध स्त्री अपनी रहस्यमयी आँखों से उन्हें देखती है और कहती है:


> “समय की सुरंग में प्रवेश का अर्थ है — अपने बीते और आने वाले हर क्षण को देखना और समझना। क्या तुम दोनों तैयार हो?”




आरव और चिंटू एक-दूसरे की ओर देखते हैं और सिर हिलाते हैं।


वृद्ध स्त्री अपनी लकड़ी की छड़ी से ज़मीन पर एक गोल आकृति बनाती हैं। एक पल में वह आकृति घूमने लगती है और एक नीली रोशनी से भरी सर्पिल सुरंग बन जाती है — जैसे समय खुद ही जीवित हो उठा हो।



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🚪 सुरंग के भीतर: समय की उलझन


जैसे ही वे सुरंग में प्रवेश करते हैं, समय रुकता नहीं — उल्टा वह बिखर जाता है।


आरव खुद को अपने बचपन में देखता है — वह दृश्य जहाँ उसने पहली बार कल्पनालोक की कल्पना की थी।


चिंटू अपने भविष्य को देखता है — एक साहसी योद्धा के रूप में जो जादुई जीवों की रक्षा कर रहा है।



लेकिन तभी समय उनसे सवाल पूछता है:

🌀 “क्या तुम भविष्य को बदलना चाहोगे, या अतीत को फिर से जीना चाहोगे?”


आरव कहता है, “मैं अतीत से सीखना चाहता हूँ, और भविष्य के लिए तैयार रहना।”


चिंटू कहता है, “मैं वही बनना चाहता हूँ, जो मेरा सच्चा स्वरूप है — बिना डर, बिना भ्रम।”



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🕰️ काल-दर्पण का रहस्य

अचानक सुरंग में एक विशाल आईना प्रकट होता है — काल-दर्पण — जो उनके सभी संभावित जीवन दिखाता है।


एक आवाज़ आती है:


> “सिर्फ वही कल्पनालोक को पार कर सकता है जो अपने समय को समझे और स्वीकार करे।”




आरव और चिंटू उस दर्पण को स्पर्श करते हैं, और पूरा सुरंग एक प्रकाशपुंज में बदल जाती है।



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🌠 नई शुरुआत का संकेत

वे एक ऊँचे शिखर पर आ पहुँचते हैं — वहाँ एक विशाल पुस्तक हवा में तैर रही होती है — “कल्पनाग्रंथ”।


अब एक नई आवाज़ आती है — वह न तो स्त्री की है, न पुरुष की — जैसे ब्रह्मांड खुद बोल रहा हो:


> “अब तुम्हारा अंतिम परीक्षण शेष है — कल्पनाग्रंथ को जाग्रत करना। लेकिन याद रखो, हर कल्पना के साथ आता है एक उत्तरदायित्व।”





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क्या आरव और चिंटू कल्पनाग्रंथ के रहस्य को खोल पाएंगे?

क्या कल्पनालोक की अंतिम शक्ति अब उनके हाथ में होगी?


📖 जानिए अगले भाग में — "कल्पनाग्रंथ का जागरण"


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