Kalpanalok भाग 17- कल्पनाग्रंथ का जागरण

 



🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 17


शीर्षक: कल्पनाग्रंथ का जागरण


पिछले भाग में:

"समय की सुरंग" से निकलकर आरव और चिंटू ने समय के पार अपनी चेतना का विस्तार देखा। वहां उन्हें एक झलक मिली एक ऐसे ग्रंथ की, जो कल्पनालोक के हर रहस्य को खोल सकता है — कल्पनाग्रंथ। अब वे पहुँच चुके हैं उस जगह जहाँ यह ग्रंथ जागृत होने वाला है…



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🌟 कहानी शुरू होती है:


चारों ओर नीली रोशनी की लहरें फैल रही थीं। जमीन पर उकेरे गए रहस्यमयी चिह्न चमक रहे थे। आरव और चिंटू एक विशाल वृत्त के केंद्र में खड़े थे — वहाँ रखी थी एक सुनहरी पेटी, जिसके ऊपर अंकित था:

"कल्पनाग्रंथ – केवल कल्पना की पूर्णता पर ही जागृत होता है।"


चिंटू ने धीरे से पूछा, “क्या यही वो ग्रंथ है, जिसके बारे में समय की सुरंग में दर्शन हुआ था?”


आरव ने धीरे से सिर हिलाया, “हाँ… और लगता है इसे जगाने के लिए हमें अंतिम कल्पना को स्वीकारना होगा — एक ऐसी कल्पना जो केवल सत्य से जुड़ी हो।”


वहीं अचानक हवा तेज़ हो गई। एक रहस्यमय आवाज़ गूंजी:


> "कल्पना वह शक्ति है जो असंभव को संभव करती है।

सत्य वह राह है जो कल्पना को अर्थ देती है।

जब दोनों मिलते हैं… तब जागता है कल्पनाग्रंथ।"




आरव ने अपनी आंखें बंद कीं और एक स्पष्ट संकल्प लिया —

"कल्पनालोक को बचाना है, पर इसके लिए केवल साहस नहीं, सच्चाई का प्रकाश चाहिए।"


चिंटू ने भी अपने भीतर की छवि देखी — “मैं केवल एक साथी नहीं हूँ… मैं कल्पनालोक का रक्षक भी हूँ।”


तभी सुनहरी पेटी से तेज प्रकाश निकला और धीरे-धीरे वह खुलने लगी।


अंदर था —

एक चमकता हुआ ग्रंथ। उसके पन्ने स्वतः खुलने लगे, और उनमें दिखाई दिए चित्र, शब्द और घटनाएँ — कुछ जो घट चुकी थीं, और कुछ जो भविष्य में होंगी।


“ये… ये तो हमारी यात्रा की सारी बातें हैं!” चिंटू चौंक गया।


आरव ने ग्रंथ को छूते हुए कहा, “कल्पनाग्रंथ केवल कहानी नहीं है… यह चेतना है। जो भी इसे पढ़ेगा, वह कल्पनालोक की सच्चाई को देख सकेगा।”


तभी ग्रंथ का अंतिम पृष्ठ खुला, और उस पर लिखा था:


> “अब समय है — सत्य को जगाने का।

अगला द्वार: 'भावनाओं की अग्निपरीक्षा'”


आरव और चिंटू एक-दूसरे की ओर देख कर मुस्कराए। उन्हें पता था कि अब सफर और भी गहराई में जाने वाला है।


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🔮 अगले भाग में:


भावनाओं की अग्निपरीक्षा — क्या आरव और चिंटू अपने सबसे गहरे भावों की परीक्षा में सफल होंगे?

क्या कल्पनालोक का अंतिम रहस्य उजागर होगा?


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