Kalpanalok भाग 19-अंतिम द्वार: सत्य और भ्रम
🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 19
✨ शीर्षक: अंतिम द्वार: सत्य और भ्रम
भावनाओं की अग्निपरीक्षा पार करने के बाद, आरव और चिंटू एक रहस्यमयी सीढ़ियों वाले मार्ग पर पहुँचे। हर कदम के साथ वातावरण बदल रहा था — कहीं प्रकाश था, कहीं अंधकार। कहीं संगीत था, कहीं सन्नाटा।
अचानक सामने आया अंतिम द्वार, जो आधा सुनहरा और आधा काले धुएं से बना था। उस पर चमकते अक्षरों में लिखा था:
> “यहाँ से आगे भ्रम और सत्य एक साथ मिलते हैं —
चयन ही भविष्य तय करेगा।”
आरव ने द्वार को छूते ही एक विचित्र अनुभव किया —
वह दो वास्तविकताओं में बँट गया था।
🔹 पहली दुनिया — जहाँ कल्पनालोक उज्ज्वल, शांत और शक्तिशाली था। पर यह सब एक छलावा था, जो केवल उनकी इच्छाओं से बना था।
🔹 दूसरी दुनिया — टूटे हुए पेड़, मुरझाई कल्पनाएँ, और बिखरा हुआ जादुई संतुलन। लेकिन यहीं थी सच्चाई, यहीं थी वह पीड़ा जिसे ठीक करना था।
चिंटू भी दो रूपों में दिखा —
एक वह जो सबको खुश करने में लगा था… और एक जो अपने भीतर की बेचैनी से जूझ रहा था।
तभी वहाँ प्रकट हुआ एक प्रकाश-पुरुष — “तत्वबोध”।
उसने कहा:
> “कल्पनालोक का भाग्य किसी युद्ध या जादू से नहीं,
बल्कि आत्म-चयन से तय होगा।
भ्रम छोड़ो, सत्य को स्वीकारो।”
आरव ने अपने भीतर देखा — शक्ति, डर, मोह, और उद्देश्य।
चिंटू ने भी अपनी असुरक्षा को छोड़ा और अपने महत्व को जाना।
दोनों ने सत्य की राह चुनी।
अंतिम द्वार खुल गया…
और अब उनके सामने था — कल्पनालोक का हृदय।
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🔮 अगले भाग में:
“कल्पनालोक का हृदय” – जहाँ जादू, स्मृति और चेतना के मूल स्रोत से उनका अंतिम मिलन होगा।
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