कल्पनालोक भाग 21- जागरण का अनुग्रह

 


🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 21


शीर्षक: जागरण का अनुग्रह


पिछले भाग में:

आरव और चिंटू ने कल्पनालोक के हृदय में कल्पनाग्रंथ को पुनः जाग्रत करने के लिए अपना संपूर्ण ‘स्व’ समर्पित किया। एक तेज़ रोशनी के साथ कल्पनाग्रंथ ने उन्हें स्वीकार कर लिया। अब उनके सामने है अंतिम जागरण की घड़ी।


इस भाग में:

जैसे ही प्रकाश फैला, कल्पनालोक की धरती काँपने लगी — लेकिन यह विनाश की नहीं, नवजन्म की ऊर्जा थी।


कल्पनाग्रंथ के पृष्ठ हवा में तैरने लगे और हर पृष्ठ से निकलने लगा एक मंत्र —


> "विचार से उत्पत्ति, विश्वास से विस्तार, और सत्य से स्थिरता..."

आरव और चिंटू अब एक गहरे ध्यान में थे। उनके चारों ओर बीते सफर की छवियाँ घूमने लगीं —

बोलते पेड़, समय की सुरंग, दर्पणों की घाटी, परिवर्तन की नदी, और अंततः यह पवित्र मंदिर।


तभी एक दिव्य ध्वनि गूँजी:

"जागरण केवल शक्ति नहीं, दया और समझ की पराकाष्ठा है। क्या तुम दोनों उस अनुग्रह के पात्र हो?"


आरव ने आँखें खोलीं, उसकी आवाज दृढ़ थी —

“अगर जागरण केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि पूरी कल्पनालोक के संतुलन के लिए है... तो हम तैयार हैं।”


चिंटू ने भी सिर हिलाया —

“हमने अपने डर, भ्रम, और इच्छाओं को देखा है। अब हम केवल सच्चाई को अपनाना चाहते हैं।”


तभी कल्पनाग्रंथ की अंतिम पृष्ठ खुलता है —

और एक सांकेतिक कलश प्रकट होता है। उसमें है "अनुग्रह की बूँद", जो पूरी कल्पनालोक को संतुलन दे सकती है, लेकिन...

उसे छूते ही समय का चक्र पलट जाएगा।


क्या आरव और चिंटू इसका सामना करने को तैयार हैं?


🔮 अगले भाग में: भाग 22 – समय का चक्र

जहाँ आरव और चिंटू को करना होगा एक कठिन निर्णय — अतीत को बदलना या भविष्य को सुरक्षित रखना।



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