कल्पनालोक भाग 22- समय का चक्र
🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 22
✨ शीर्षक: समय का चक्र
पिछले भाग में:
कल्पनालोक के हृदय में, आरव और चिंटू को "अनुग्रह की बूँद" प्राप्त हुई, लेकिन उसके छूते ही समय का चक्र पलटने की चेतावनी मिली। अब उनके सामने है एक निर्णय — अतीत को बदलना या भविष्य को बचाना।
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इस भाग में:
कलश को छूते ही समय जैसे ठहर गया।
आरव और चिंटू की आँखों के सामने एक रहस्यमय दर्पण प्रकट होता है, जिसमें वे अपने जीवन के दो मार्ग देखते हैं —
🔁 पहला मार्ग:
अतीत में वापसी — जहाँ वे अपनी गलतियों को सुधार सकते हैं, खोए हुए अपनों को वापस पा सकते हैं, परंतु कल्पनालोक की वर्तमान स्थिरता दांव पर लग जाएगी।
⏳ दूसरा मार्ग:
भविष्य की रक्षा — जहाँ वे अनुग्रह की बूँद को वर्तमान में ही उपयोग करके पूरे कल्पनालोक को स्थिर कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अपने व्यक्तिगत दुःखों को हमेशा के लिए त्यागना होगा।
एक वृद्ध साधु की छवि, जो पूर्व में मार्गदर्शन दे चुका था, पुनः प्रकट होती है —
“यह समय का चक्र है, बालकों। केवल त्याग से ही सृजन संभव है। निर्णय तुम्हारे भीतर है।”
चिंटू के भीतर संघर्ष है — वह चाहता है अपने खोए हुए पिता से मिलना, अतीत को फिर से जीना।
आरव की आँखें नम हैं, पर उसकी दृष्टि स्थिर —
“अगर हमारा दुःख, किसी और की शांति बन सकता है… तो यही हमारा धर्म है।”
चिंटू आरव की ओर देखता है। कुछ क्षणों के मौन के बाद वह मुस्कराता —
“तूने सही कहा, दोस्त। कल्पनालोक की भलाई में ही हमारा सच्चा जागरण है।”
वे दोनों अनुग्रह की बूँद को मंदिर के मध्य में रखे ऊर्जा-स्तम्भ में अर्पित करते हैं।
क्षण भर में —
कल्पनालोक में उजास फैल जाता है। मृत हो चुके वृक्षों में फिर से हरियाली आ जाती है। वायुमंडल में संगीत-सा कंपन होने लगता है।
लेकिन तभी...
समय का चक्र अंतिम बार घूमता है और दोनों मित्रों को एक और रहस्यमयी द्वार के सामने ला खड़ा करता है —
“यह द्वार है पुनर्जन्म का… या समाप्ति का। तुम्हारी यात्रा अब अंतिम परीक्षा में है।”
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🔮 अगले भाग में: भाग 23 – पुनर्जन्म या समाप्ति
जहाँ आरव और चिंटू को तय करना होगा —
क्या वे स्वयं को त्यागकर कल्पनालोक को अमर करेंगे, या लौटेंगे अपने संसार में एक नई चेतना के साथ?
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