Kalpanalok -भाग 4: समय की छाया
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Samay Ki Chhaya |
🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 4
(Kalpanalok Fantasy Blog)
पिछले भाग में:
आरव और चिंटू, जादुई द्वार के पार पहुँचकर एक अजीब संसार में प्रवेश करते हैं जहाँ पेड़ बोलते हैं और रास्ते हवा में तैरते हैं। वहीं उन्हें मिलता है एक पंखों वाला नन्हा जीव – गुब्बू, जो कहता है कि वो उनकी मदद कर सकता है… अगर वे उसका विश्वास जीत पाएं।
✨ भाग 4: पहला रहस्य – समय की छाया
गुब्बू ने अपनी छोटी सी आवाज में कहा,
"अगर तुम्हें जादुई पेड़ की आत्मा से मिलना है, तो पहले तुम्हें समय की छाया को पार करना होगा।"
"समय की छाया?" चिंटू ने चौंककर पूछा।
"हाँ," गुब्बू बोला, "यह जंगल हर किसी को उसकी सबसे बड़ी कमजोरी दिखाता है – समय में पीछे छुपी यादों की परछाईं बनकर। अगर तुम उससे डर गए, तो तुम कभी आगे नहीं बढ़ पाओगे।"
आरव ने गहरी साँस ली। वो तैयार था।
गुब्बू ने उन्हें एक चमकती हुई रेत की घड़ी दी।
"जब यह घड़ी उलटी चलने लगे, समझ जाना कि समय की छाया पास है।"
जैसे ही दोनों आगे बढ़े, रेत की घड़ी अचानक उलटी दिशा में बहने लगी।
चारों ओर कोहरा छा गया।
और तभी आरव को दिखाई दी –
उसकी माँ की परछाई…
वो मुस्कुरा रही थी… लेकिन उसकी आँखों में आँसू थे।
"मुझे छोड़कर क्यों आए आरव?" वो धीमे स्वर में बोली।
आरव का दिल काँप उठा। वो आगे बढ़ना चाहता था, लेकिन पाँव जम गए थे।
चिंटू ने उसका हाथ पकड़ा –
"ये असली नहीं है, भाई! ये समय की छाया है। हमें इससे पार निकलना ही होगा।"
आरव ने आँखें बंद कीं, माँ की आवाज दिल में समेटी और ज़ोर से चिल्लाया –
"मैं वापस आऊँगा… लेकिन पहले इस रहस्य को हल करना होगा!"
एक तेज़ हवा चली… और समय की छाया गायब हो गई।
घड़ी सीधी चलने लगी।
गुब्बू मुस्कराया –
"तुमने पहला रहस्य पार कर लिया। अब अगला द्वार तुम्हारा इंतजार कर रहा है – आत्मा की झील… जहाँ सच और भ्रम का फर्क मिट जाता है।"
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🌀 जारी रहेगा…
(भाग 5 में जानिए – आत्मा की झील के रहस्य, और एक नया शत्रु जिसकी परछाई आरव के पीछे है…)
घड़ी सीधी चलने लगी।
गुब्बू मुस्कराया –
"तुमने पहला रहस्य पार कर लिया। अब अगला द्वार तुम्हारा इंतजार कर रहा है – आत्मा की झील… जहाँ सच और भ्रम का फर्क मिट जाता है।"
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