Kalpanalok भाग 8: कल्पनाओं की दुनिया
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Kalpanao ki duniya |
🌳 जादुई जंगल की रहस्यमय कहानी – भाग 8
✨ शीर्षक: कल्पनाओं की दुनिया
पिछले भाग में:
आरव और चिंटू ने दर्पणों की घाटी में अपने डर, अतीत और भविष्य का सामना किया। ‘साहस’ की शक्ति से उन्होंने अंधकार को हराया और एक नया रहस्यमयी द्वार उनके सामने खुला...
🌌 भाग 8: कल्पनाओं की दुनिया
जैसे ही आरव और चिंटू ने काँच के द्वार को पार किया, वे एक अनोखी और चमकदार दुनिया में पहुँचे — कल्पनाओं की दुनिया।
यहाँ हवा में तैरते द्वीप थे, तितलियों की तरह उड़ते घर, और इंद्रधनुष जैसे रास्ते जो बादलों पर चलते थे। हर दिशा में जादू और रंग बिखरे थे।
"क्या हम किसी सपने में हैं?" चिंटू ने हैरानी से पूछा।
"नहीं, ये हमारी कल्पनाओं से बना है," आरव ने धीरे से कहा।
उन्हें सामने एक काँच का गोला दिखा, जिस पर लिखा था:
"जो तुम सोचते हो, वही यहाँ साकार होता है।"
आरव ने मन में सोचा: काश हमारे पास उड़ने वाली नाव होती...
और तुरंत एक चमकदार पंखों वाली नाव हवा में प्रकट हो गई!
चिंटू चहक उठा: "मैं राजा बनना चाहता हूँ!"
और कुछ ही पलों में उसके सिर पर मुकुट और गले में लाल मखमली चादर थी।
लेकिन तभी आसमान पर काले बादल छा गए।
एक भारी आवाज गूँजी —
"कल्पनाएँ शक्तिशाली होती हैं, लेकिन वे ज़िम्मेदारी माँगती हैं..."
नाव हिलने लगी, चिंटू का मुकुट गिर पड़ा, और चारों ओर अंधकार फैल गया।
आरव ने आँखें बंद कीं और शांति से सोचा —
"मैं वही देखना चाहता हूँ जो सच्चा है, जो ज़रूरी है..."
तभी एक सुनहरा पेड़ प्रकट हुआ, जिसकी शाखाओं से तीन शब्द टपक रहे थे:
ज्ञान, विवेक, और नियंत्रण।
पेड़ से एक धीमी, गूंजती हुई आवाज़ आई:
"कल्पनाओं को दिशा दो, तभी तुम अगले द्वार के योग्य हो..."
🔮 अगले भाग में:
आरव और चिंटू एक ऐसे मंदिर में पहुँचते हैं जहाँ उन्हें अपने अतीत की सबसे गहरी सच्चाई का सामना करना पड़ता है...
और वहाँ छुपा है पूरा जादुई जंगल का सबसे बड़ा रहस्य।
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